डार्क वेब क्या होता है? | What is dark web in Hindi?

फॉलो और जॉइन करें

फिलहाल आप जो भी इंटरनेट का इस्तेमाल करते है वो काफी साधारण है। इस इंटरनेट के अलग अलग भाग है। जिसका इस्तेमाल अलग अलग कामों के लिए होता है। इसमे कुल तीन प्रकार है। पहला है सर्फेस वेब दूसरा डीप वेब और तीसरा है डार्क वेब। पहले दोनो का इस्तेमाल तो आप रोज करते है। पर तीसरा प्रकार थोड़ा खतरनाक हो सकता है। वैसे आप उसका इस्तेमाल कैसे करते ये उसपर निर्भर है। तो चलिए इसके बारे जानते है।

डार्क वेब क्या है

सर्फेस वेब क्या है?

आप रोज गूगल का इस्तेमाल तो करते ही होंगे वही सर्फेस वेब है। गूगल पर सर्च करने पर आपको जो भी जानकारी मिलती है वो सर्फेस वेब है। जैसे समाचार, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर ये सब चीजें आपको गूगल पर मिल जाएंगी। यही सर्फेस वेब है। जहां आपको हर चीज की जानकारी मिल जाएगी। और कई लोगों आपको आपके बारें में भी जानकारी मिल जाएंगी। वो भी आपको बिना पता लगे।

डार्क वेब क्या होता है? | What is dark web in Hindi?
सौजन्य : प्रोटॉन व्हीपीएन

डीप वेब क्या है?

इंटरनेट का ऐसा हिस्सा जो आपसे छुपाया जाता है और जिसे आप भी इस्तेमाल कर सकते है। इस हिस्से की जानकारी आपको गूगल या फिर बिंज पर ढूँढने पर भी नहीं मिलेगी। जैसे आपको भेजे गए ईमेल जो सिर्फ आप देख सकते है। कोई और व्यक्ति उन्हे गूगल पर सर्च करके ढूंढ नहीं सकता। ये जानकारी डीप वेब के अंदर आती है।

सभी कंपनियों के डेटाबेस, आपके ईमेल, फेसबूक चैट, ट्विटर चैट, अस्पताल के मरीजों की जानकारी, पासवर्ड प्रोटेक्टेड जानकारी या फिर ऐसी जानकारी जिसे पैसे दे कर देख सकते है, ये सारी जानकारी डीप वेब के अंदर आती है। ये जानकारी कोईसा भी सर्च इंजन रिजल्ट में नहीं दिखाता। और कंपनियां भी ऐसा नहीं चाहेंगी।

ये डीप वेब सर्फेस वेब से कई सौ गुना ज्यादा बड़ा है। इसका एक उदाहरण मतलब अभी आप जो भी जानकारी पढ़ रहे है वो सर्फेस वेब है और जहां से ये जानकारी (डेटाबेस) आप तक पहुँच रही है वो डीप वेब है। कभी इसका विचार किया है की डीप वेब में जानकारी कितनी है? एक सर्व्हे के अनुसार डीप वेब मे जानकारी लगभग ७५०० TB है और वहीं सर्फेस वेब में केवल १९ टीबी की ही जानकारी है। ये आकडा बढ़ता ही जाएगा। डीप वेब पूरे वेब का ९०-९५ प्रतिशत है।

deep web surface web

डार्क वेब क्या है?

डार्क वेब डीप वेब से बहुत छोटा है। अगर आपको डार्क वेब की जानकारी देखनी है तो वो आप साधारण ब्राउजर की मदद से नहीं देख सकते। जैसे गूगल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट एज, मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स, ओपेरा और vivaldi ये ब्राउजर डार्क वेब की जानकारी दिखने में सक्षम नहीं है। इसके लिए आपको अलग ब्राउजर का इस्तेमाल करना पड़ेगा जो आपकी जानकारी भी सुरक्षित रखता है।

डार्क वेब पर जो कुछ भी होता है वो छुप कर होता है जैसे अगर आप गूगल क्रोम का इस्तेमाल करते है और उसमें भी गूगल का सर्च इंजन का इस्तेमाल करते है तो आप किस मोबाईल से सर्च कर रहे है, क्या सर्च कर रहे है, कहाँ से सर्च कर रहे है ये सब चीजें गूगल को पता चलती है। पर डार्क वेब पर ऐसी कोई भी चीज पता नहीं चलती। बस आपको थोड़ी खबरदारी रखनी पड़ेगी।

सर्फेस वेबडीप वेबडार्क वेब
सोशल मीडियाअस्पताल के मरीजों के रेकॉर्ड्सअनधिकृत जानकारी
समाचार के वेबसाइटकंपनी के डेटाबेसहत्यारों की लेनदेन
ब्लॉगआपके मेलखुफिया जानकारी

एक सर्व्हे के अनुसार डार्क वेब पर कुल २७०० वेबसाईट है। उनमें से लगभग ६० प्रतिशत से भी ज्यादा वेबसाईट पर गैर कानूनी चीजें होती है। पर डार्क पर कुछ अच्छी वेबसाईट भी है।

आप गूगल की मदद से डार्क वेब के रिजल्ट नहीं देख सकते इसके लिए आपको अलग सर्च इंजन का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जैसे candle, not evil या फिर spearx जैसे सर्च इंजन। इन्हे इस्तेमाल करने के लिए भी आपको अलग ब्राउजर का इस्तेमाल करना पड़ेगा।

डार्क वेब पर कोई भी अपनी पहचान नहीं बताता। वेबसाईट के मालिक भी नहीं और यूजर भी, इसलिए गैर कानूनी वेबसाईट को बंद करना काफी मुश्किल हो जाता है। और डार्क वेब की तगड़ी प्राइवसी के चलते कोई देश इन वेबसाईट पर बंधन भी नहीं लगा सकता।

क्या करेक्या ना करे
खुद से पहले डार्क वेब के बारें में और भी जानकारी इकठ्ठा करें।गैर कानूनी चीजों में ना फसे।
सुरक्षित टूल्स का इस्तेमाल जरूर करें।कोई भी फाइल इंस्टॉल ना करें।
सॉफ्टवेअर अपडेटेड होने चाहिएकिसी भी लिंक पर क्लिक ना करें।
url सुरक्षित है इसकी जांच करने पर उसपे क्लिक करें।कहीं भी अपनी निजी जानकारी ना दें।
खुद की निजी जानकारी सुरक्षित रखें।किसी पर भी विश्वास ना रखे।
क्रीप्टोकरंसी का इस्तेमाल करें कुछ भी खरीदने के लिए।सुरक्षा को नजरंदाज ना करें।
ऑनलाइन चॅट करते समय सावधान रहें।कानून ना तोड़ें।
वेबकॅम बिलकुल भी चालू ना करे, हो सके तो उसे ढके या फिर बंद कर दें।पब्लिक फोरम पर निजी जानकारी बिल्कुल भी ना दें।

डार्क वेब करने के क्या फायदे है?

डार्क वेब इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा प्राइवसी का है। इसका जन्म भी इसी के वजह से हुआ था। एक कंपनी के सर्व्हे के अनुसार ७०.१ प्रतिशत लॉग खुद की प्राइवसी के लिए टॉर ब्राउजर का इस्तमाल करते है। ६२.२८ प्रतिशत लॉग सुरक्षा के लिए तो २७.०७ प्रतिशत लॉग केवल जिज्ञासा के लिए इसका इस्तेमाल करते है।

चूंकि इंटरनेट के इस हिस्से को ट्रैक करना काफी मुश्किल है तो कुछ लॉग इसी पर बातचीत करते है इसकी प्राइवसी और सुरक्षा की वजह से।

इसका इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए भी होता है।

  • कुछ पत्रकार डार्क वेब की मदद से सरकारी कार्यालय में चल रहे घोटालों को लोगों के समाने लाते है।
  • नागरिक या फिर सरकारी अधिकारी सरकार से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी पढ़ने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल करते है जिन्हे ब्लॉक किया गया हो।
  • कुछ आंदोलनकारी डार्क वेब की प्राइवसी का इस्तेमाल कर सरकार के खिलाफ काम करते है।
  • कुछ लॉग खुद की मेडिकल जानकारी किसी को बिना पता लगे उसकी जानकारी हासिल करने के लिए इसका इस्तेमाल करते है।
  • सरकार की तरफ से प्रतिबंध लगाई गई वेबसाईट को इस्तेमाल करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है।
  • बिना किसी विज्ञापन देखे सर्च करने के लिए।
  • cryptocurrency वॉलेट सुरक्षित रखने के लिए।
  • किसी की भी नजर ना आए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए।

डार्क वेब से क्या खतरा है 

  • डार्क वेब पर बड़े पैमाने पर गैर कानूनी चीजे चलती है। कई सारी वेबसाईट गुन्हेगारों के जरिए चलाई जाती होंगी इसे नकार नहीं सकते। इन्ही वेबसाईट पर गैर कानूनी लेनदेन भी होता है। और अगर आप ऐसी किसी वेबसाईट पर जाते है तो किसी ना किसी तरह से आपको जानकारी भी चुराई भी जाती है।
  • डार्क वेब की कोनसी लिंक अच्छी होगी ये बताया नहीं जा सकता। अगर ऐसे किसी भी लिंक पर क्लिक करते है तो आपको कुछ ऐसे विडिओ भी देखने को मिल सकते है जो आपको विचलित कर सकते है। या फिर वहाँ से कोई फाइल भी डाउनलोड करते है तो वो सुरक्षित होगी या नहीं ये भी आप नहीं कह सकते। उसमे वायरस भी हो सकता है।
  • जिस तरह आप इसका इस्तेमाल करते है उसी तरह सरकारी लोग इसका इस्तेमाल करते है। जो कोई भी गैर कानूनी लोगों से संपर्क करने का प्रयत्न करते है या फिर गैर कानूनी चीजे करते है उन्हे ढूंढते है और फिर उन्हे गिरफ्तार भी करते है। आपकी एक गलती की वजह से आप गिरफ्तार भी हो सकते है।
  • डार्क वेब पर Quora और Reddit जैसे फ़ोरम भी है। जिस पर आप हैकर से संपर्क कर सकते है। आप उन्हे रोजगार भी दे सकते है। मैलवेयर भी खरीद सकते है। वो हैकर आपका डिवाइस भी हैक करने का प्रयास कर सकते है। इन्हे आपसे कुछ लेना देना नहीं है। आपको जानकारी उनके लिए खजाना है।
  • कोई भी वेबसाईट आपके डिवाइस पर remote administration tool जिसे RAT भी कहा जाता उसे इंस्टॉल कर सकते है या फिर आपका वेबकैम भी हैक कर सकते है।
  • एक उदाहरण समझिए आपको एक विज्ञापन दिखता है जिसमें आपको काफी सस्ते कपड़े मिल रहे है, आप उस वेबसाईट पर जाके उसे खरीदते है, पर कैश ऑन डेलीवरी ना होने के कारण आप पहले ही पैसे दे देते है। फिर आपको या तो कपड़े नहीं मिलते या फिर कुछ और ही प्रोडक्ट भेज देते है।
  • ऐसी चीजे डार्क वेब पर होती रहती है। इसपर ड्रग्स, बंदूक भी बेचे जाते है। कई सारे लॉग ड्रग्स खरीदते है पर उन्हे ड्रग्स की जगह ग्लूकोस के पैकेट भेजे गए है। इस तर से फसाया जाता है।
  • ऐसे में आप अपनी जानकारी भी दे देते है। जैसे पता, फोन नंबर आदि। अगर आपने पेमेंट के लिए क्रेडिट कार्ड का भी इस्तेमाल किया होगा तो उसकी भी जानकारी उनके पास चली जाती है। पर फिलहाल सारे ट्रैन्सैक्शन cryptocurrency के माध्यम से होते जिन्हें ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है।
  • आप आगे पढ़ेंगे की डार्क वेब इतना सुरक्षित और प्राइवेट क्यों है। और ऐसा पढ कर अगर आप बिना किसी खौफ के इसका इस्तेमाल करते है तो आप फंस सकते है। इसकी वजह से आपको काफी तकलीफों का सामना भी करना पड़ेगा।
  • यहाँ ऐसे भी कई सारे फोरम भी होते है जहां दहशतवादी भी होते है। वहाँ पर ये लॉग भड़काऊ भाषण देते है। इनका उद्देश्य दहशतवाद फैलाना होता है।

डार्क वेब गैर कानूनी है?

इसका जवाब अंशतः ना कहूँगा मैं। वैसे डार्क वेब का इस्तेमाल गैर कानूनी नहीं पर इसका इस्तेमाल गैर कानूनी चीजे करने के लिए करना वो गुन्हा होगा। वैसे भी इसका इस्तेमाल कई सारे पत्रकार, सरकारी अधिकारी भी करते है।

अगर आपको डार्क वेब इस्तेमाल करना है तो आप नीचे दिए गए सूचनाओं का पालन करना पड़ेगा। और खुद के जिम्मेदारी पर ही इसका इस्तेमाल करें क्योंकि एक छोटीसी गलती आपको बड़े मुश्किल में डाल सकती है। इसलिए सावधान!

डार्क वेब कैसे इस्तेमाल करें?

नीचे दी गई जानकारी पूर्णतः जानकारी के लिए दी गई है आप इसका इस्तेमाल अपने अनुसार जैसा चाहे वैसा कर सकते है।

टॉर ब्राऊजर

ये सबसे ज्यादा पॉपुलर तरीका है। इसके अलावा भी और तरीके है पर ये ज्यादा सुरक्षित और प्रसिद्ध है इसलिए इसी के बारें में बताता हूँ।

Tor का फूल फॉर्म The Onion Router ऐसा है।अगर आप इसकी मदद से सर्फेस वेब का इस्तेमाल करते है तो आपकी सारी जानकारी काफी प्राइवेट और सुरक्षित रहेगी।

जब भी आप टॉर नेटवर्क से कनेक्ट होते है तो आपकी जानकारी तीन सर्वर से हो कर गुजरती है। और सर्वर में आपकी जानकारी इन्क्रिप्ट होती जाती है। 

जिस भी पहले सर्वर से आप कनेक्ट होते है वहाँ आपका आईपी अड्रेस रजिस्टर होता जो इन्क्रिप्ट नहीं होता पर बाकी सारी जानकारी इन्क्रिप्ट की जाती है। इस पहले सर्वर को आपके आईपी अड्रेस के अलावा कुछ पता नहीं होता।

डार्क वेब क्या होता है? | What is dark web in Hindi?
सौजन्य: प्रोटॉन व्हीपीएन

आखिर के सर्वर पर जो भी जानकारी जाती है वहा वो डेक्रीप्ट की जाती है। और फिरसे इन्क्रिप्ट की जाती है। इसलिए इस आखिर के सर्वर को आपके आईपी अड्रेस के अलावा आप डार्क वेब पर क्या कर रहे इसकी सारी जानकारी पता होती है।

आप टॉर नेटवर्क के माध्यम से सुरक्षा और प्राइवसी तो हासिल कर सकते है पर इसकी कमजोरी इसका आखरी सर्वर होता है जहां आपकी सारी जानकारी होती है। आईपी अड्रेस के अलावा चूंकि वहाँ आपको जानकारी डेक्रीप्ट की जाती है तो वो सर्वर वो जानकारी पढ़ सकता है।

इसकी ये कमजोरी सरकारी एजेंसी भी इस्तेमाल करती है। अगर इन्होंने किसी ऐसे सर्वर पर कब्जा किया तो वे आपको ढूंढ सकते है। वे लोग वक्त का इस्तेमाल करते है। जैसे आप कब टॉर नेटवर्क से कनेक्ट हुए थे और आखिर के सर्वर पर कब कनेक्ट हुए थे वो देखते है।

इस टॉर नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए आप टॉर ब्राउजर का इस्तेमाल कर सकते है। ये ब्राउजर अमेरिका नौदल ने बनाया था। फिर २००४ में इसे सब के लिए खुला कर दिया गया। ये ब्राउजर आप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते है। लैपटॉप के लिए आप इसे इनकी वेबसाईट से डाउनलोड कर सकते है।

अगर आपको इसका इस्तेमाल करना है तो आपको धीरज रखना पड़ेगा। क्योंकि इसका कनेक्शन कम से कम तीन सर्वर से होके गुजरता है और इन्क्रिप्ट भी होता है इसलिए ये काफी स्लो काम करता है। ४० mbps की स्पीड काफी स्लो हो जाती है इस नेटवर्क पर। इसलिए मामूली ४g नेटवर्क पर तो ये कछुए की तरह काम करेगा।

वीपीएन का इस्तेमाल

जैसे की टॉर कनेक्शन के बारें मे बताते वक्त मैंने बताया की आपका आईपी अड्रेस पहले सर्वर को पता होता है इसलिए ये खतरनाक हो सकता है। इससे बचाने के लिए आप वीपीएन का इस्तेमाल कर सकते है।

और प्ले स्टोर पर मिलने वाला कोई भी मुफ़्त का वीपीएन बिल्कुल भी इस्तेमाल मत करना। आप को वही वीपीएन इस्तेमाल करना है जो नो लॉग्स पॉलिसी का इस्तेमाल करते है।

इसकी वजह से आपकी कोई भी जानकारी स्टोर नहीं की जाएगी। अगर ऐसे वीपीएन पता नहीं है तो किसी अच्छे कंपनी का वीपीएन खरीदें।

डार्क वेब सर्च इंजिन 

गूगल, बिंज, याहू, याडेक्स बाईडु इनके जैसे सर्च इंजन डार्क वेब की वेबसाईट नहीं दिखाते इसके लिए अलग सर्च इंजन है।

डक डक गो

ये सर्च इंजन टॉर ब्राउजर का डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन है। ये सर्च प्राइवसी के लिए पूरे जगत मे प्रसिद्ध है। ये सर्च इंजन यूजर को ट्रैक नहीं करता। इसलिए इसका इस्तेमाल आप डार्क वेब के लिए भी कर सकते है।

टॉर्च

ये सर्च इंजन भी यूजर को ट्रैक नहीं करता और हे सबसे पुराने सर्च इंजन में से एक है।

Ahmia.fi

अगर आपको क्रोम, फ़ायरफ़ॉक्स और माइक्रोसॉफ्ट एज पर डार्क वेब के रिजल्ट देखने है तो आप इस सर्च इंजन की मदद से उन्हे इन ब्राउजर में देख सकेंगे पर उन्हे खोल नहीं पाएंगे। उसे खोलने के लिए आपको टॉर नेटवर्क से कनेक्ट करना पड़ेगा।

डार्क सर्च

इस सर्च इंजन की माने तो ये हर २४ घंटे में वेबसाईट को क्रॉल करता है।

डार्क वेब की वेबसाईटे

अब आपको पता लग ही गया है की डार्क वेब इस्तेमाल करने के लिए क्या क्या करना पड़ेगा। पर आपको ये कैसे पता लगेगा की वेबसाईट डार्क वेब की ही है या नहीं? इसके लिए आपको उसके url को देखना पड़ेगा। साधारण वेबसाईट के डोमेन का अंत com, in, gov.in ऐसे शब्दों से होता है।

  • https://cyberbandhu.in/
  • https://hindi.cyberbandhu.in/
  • https://alaukikmarathi.com/
  • https://alaukikmarathi.com/hindi/
  • https://cybercrime.gov.in

पर डार्क वेब के वेबसाईट के url का अंत .onion इस शब्द से होता है। इतना ही नहीं इनके url काफी अजीब होते है उन्हे याद रखना काफी मुश्किल होता है। नीचे मैंने उनके उदाहरण दिए है। डार्क वेब की वेबसाईट बदलती रहती है। उनके गैर कानूनी कारनामों की वजह से या फिर मालिक को बोर हो रहा होगा तो वो उसे बंद कर देता है। या फिर नई वेबसाईट चालु कर देते है।

  • qmifwf762qftydprw2adbg7hs2mkunac5xrz3cb5busaflji3rja5lid.onion
  • facebookwkhpilnemxj7asaniu7vnjjbiltxjqhye3mhbshg7kx5tfyd.onion
  • https://duckduckgogg42xjoc72x3sjasowoarfbgcmvfimaftt6twagswzczad.onion/

डार्क वेब क्या बेचा जाता है?

आपने कई बार ये सुना होगा की कोई वेबसाईट हैक हुई है। असल में इनके डेटाबेस हैक किए जाते है। जिसमे कई सारे लोगों की जानकारी उपलब्ध होती है। फिर इसी जानकारी का इस्तेमाल कर वे कंपनी से फिरौती मांगते है और ना देने पर उसे डार्क वेब पर डाल देते है। फिर इसका इस्तेमाल स्कैमर करते है।

इसमे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेन्स, पहचानपत्र, मोबाईल नंबर, बैंक से जुड़ी जानकारी, सोशल मीडिया के यूजरनेम, पासवर्ड ऐसी कई सारी जानकारी डार्क वेब पर बेची जाती है।

डार्क वेब पर बंदूक, मैलवेयर, कंप्युटर वायरस, ड्रग्स आदि वस्तु बेची जाती है।

यहाँ पे हैकर को भी रोजगार दिया जाता है।

पायरेटेड फाइल, सॉफ्टवेयर, किताबे, फिल्मे आदि चीजे यहाँ मिल जाती है।

डार्क वेब किसने बनाया?

इसका बाप अमेरिका ही है। अमेरिका के सरकारने उनके जासूसों को खुफिया जानकारी का लेनदेन करने के लिए इसका आविष्कार किया था।

और टॉर ब्राउजर की मदद से डार्क वेब का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस टॉर ब्राउजर का इस्तेमाल अमेरिका के जासूस जानकारी भेजने के लिए और बातें करने के लिए करते थे।

नंतर अमेरिकेने टॉर सर्वांसाठी खुलं केलं. डार्क वेबचा मुळ उद्देश सुरक्षा आणि गोपनीयता प्रदान करण्याचं होतं. पण याचा दुरुपयोगच मोठ्या प्रमाणात होत आहे. नंतर तर bitcoinच्या शोधाने तर अडचणीतच भर पाडली. कारण त्याआधी क्रेडिट कार्डचा वापर व्हायचा पैसे देण्यासाठी. पण आता अशा cryptocurrency चा वापर होतो ज्यांना ट्रॅक करणं जवळपास अशक्य आहे. 

बाद में अमेरिका ने टॉर सबके लिए खुला कर दिया। डार्क वेब का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा और प्राइवसी प्रदान करना था। पर इसकी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया गया। बाद में bitcoin के आविष्कार ने तो और भी मुश्किले बढ़ाई। इससे पहले क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था। bitcoin की मदद से ट्रैक करना काफी मुश्किल हो जाता है।

Comments

Leave a Reply