फॉलो और जॉइन करें
अभी का इंटरनेट आपको बहुत सीधा साधा लगता है तो आप बहुत भोले है। क्योंकि आज के इस इंटरनेट पर गूगल और फेसबुक जैसी कंपनीया आप इंटरनेट पर क्या करते है उसपर नजर रखे है। फेसबुक तो दूसरी वेबसाईट से आपकी जानकारी खरीद कर फिर उनके एप पर आपको विज्ञापन भी दिखती है।
इन सब चीजों से अगर आपको बचना है तो आप नीचे दी गई चीजें करें। इससे आपको थोड़ा तो फायदा जरूर होगा। असल में विज्ञापन दिखाना बुरी चीज नहीं क्योंकि इन्हें भी सारी चीजें मुफ़्त में देना फायदे सौदा नहीं होता। पर फिलहाल स्कैमर भी अपने विज्ञापन दिखाते है। जो खतरनाक हो सकते है। इनसे बचना चाहिए।
विषयसूची
ब्राऊजर
इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए हमें ब्राउजर की जरूरत होती है। उसमें भी एक अच्छा ब्राउजर हो बहुत जरूरी है। फिलहाल सभी ब्राउजर में एक जैसे ही फीचर्स देखने को मिल जाते है। पर सिर्फ कुछ ही ऐसे ब्राउजर है जो हमारी प्राइवसी का ध्यान रखते है। अगर आपको ऐसे ब्राउजर पता नहीं है तो आप नीचे दिए गए ब्राउजर का इस्तेमाल कर सकते है।
फायरफॉक्स
फिलहाल कई सारे लोग फायरफॉक्स ब्राउजर का इस्तेमाल करते है। अगर ये ब्राउजर छोड़े तो बाकी सारे ब्राउजर क्रोमीअम के कोड पर आधारित है। जिसे गूगल ने बनाया था। पर ये ब्राउजर दूसरे कोड से बनाया है। और ये ओपन सोर्स भी है।
मतलब अगर आपको इसका कोड देखना है तो आप देख सकते है। इसमे आपको कई सारे प्लगइन देखने को मिल जाएंगे। इनके मोबाईल ब्राउजर में भी आप प्लगइन का इस्तेमाल कर सकते है। साथ ही इनका ब्राउजर ट्रैकर और विज्ञापन भी ब्लॉक करता है।
नॉर्टन
ये कंपनी एंटिवाइरस की दुनिया काफी ज्यादा प्रसिध्द है। उनका अपना एक ब्राउजर भी आता है। जिसमे डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन उनका खुद का नॉर्टन सेफ सर्च नाम का है। ये ब्राउजर क्रोमीअम पर आधारित है।
इसलिए जब भी आपको कहीं पर क्रोम को अपडेट करने की खबर मिले तो इसको अपडेट कर देना। ये ब्राउजर भी विज्ञापन और ट्रैकर को ब्लॉक कर देता है। ये ब्राउजर सिर्फ लैपटॉप या पीसी के लिए ही उपलब्ध है।
अवास्ट
पहले मैंने ये बताया था की आप इनके ब्राउजर का इस्तेमाल कर सकते है पर २३ फरवरी २०२४ को मिले खबर के अनुसार ये कंपनी ग्राहकों की जानकारी ब्राउजर और उनके इक्स्टेन्शन के जरिए जमा करके उन्हें दूसरी कंपनियों को बेचती थी। इस कंपनी को ऐसा करने पर १६.५ दशलक्ष डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया था। कंपनी ने दूसरी बार ग्राहकों का भरोसा तोड़ है।
डक डक गो
यात डक डक गो हे सर्च इंजिन मिळतं. हे ब्राऊजर मोबाईल, विंडोज, मॅक साठी उपलब्ध आहे. त्यांच्या अधिकृत वेबसाइटवरून तुम्ही हे डाउनलोड करू शकता. याच्या मोबाईल ब्राऊजर मध्ये एक फीचर मिळतं, ज्यात तो इतर apps चे ट्रॅकर्स ब्लॉक करतो. जी एक चांगली गोष्ट आहे.
इस ब्राउजर में डक डक गो सर्च इंजन मिलता है। ये ब्राउजर मोबाईल, विंडोज़, मैक ओएस के लिए उपलब्ध है। उनकी अधिकृत वेबसाईट से आप इसे डाउनलोड कर सकते है। इनके मोबाईल ब्राउजर में एक फीचर मिलता है, जिसमें वो अन्य apps के ट्रैकर को ब्लॉक कर देता है। जो एक अच्छी बात है।
टॉर
ये ब्राउजर प्राइवसी के मामले में सबका बाप है। चूंकि इसमें आपका कनेक्शन तीन अलग अलग सर्वर से होकर गुजरता है तो किसी की पता नहीं चलता की आप कौन है। और इसी वजह से ये काफी स्लो काम करता है। ये ब्राउजर फायरफॉक्स के ओपन सोर्स कोड के आधार पर बनाया गया है। इसलिए फायरफॉक्स और टॉर दोनों एक जैसे दिखते भी है।
सर्च इंजिन
सर्च इंजन का काम इंटरनेट के वेबसाईट और जानकारी हमें ला कर देना होता है। वो जानकारी देखने के लिए आपको ब्राउजर की जरूरत होती है। पर फिलहाल गूगल सबसे ज्यादा लोकप्रिय सर्च इंजन है। और पैसे कमाने के लिए गूगल हमारी जानकारी काम में लेता है। इसके अलावा भी और कई सारे सर्च इंजन है। जो प्राइवसी पर ध्यान देते है।
नॉर्टन सेफ सर्च, डक डक गो, startpage, brave ऐसे कई सारे सर्च इंजन है जो विज्ञापन तो दिखाते है पर वो हमसे जुड़े हुए नहीं होते। पर इनके रिजल्ट आपको शायद पसंद ना आए। हमे गूगल की आदत लग चुकी है।
Browser Settings
पहली बात तो आप अपना ब्राउजर हमेशा अपडेट रखें और अगर वो क्रोम या क्रोमीअम पर आधारित है तो उसे हमेशा अपडेट करते रहें। अगर आप क्रोम या फिर क्रोमीअम पर आधारित कोई भी ब्राउजर का इस्तेमाल करते है तो नीचे दी गई सेटिंग जरूर करें।
settings> privacy and security> safe browsing> enhanced
settings> privacy and security>3rd party cookies> block
settings> privacy and security> send do not track request
settings> privacy and security> always use secure connection
settings> privacy and security> dns> तुमच्या मर्जीने कोणताही वापरा पण वापरा
और भी ब्राउजर में आपको ये सेटिंग मिल जाएंगी।
Https
किसी भी वेबसाईट पर जाते समय आपको ये सुनिश्चित करना है की उस वेबसाईट की शुरुवात https से हो रही या नहीं। अगर ऐसा है तभी उस वेबसाईट पर कोई भी जानकारी भरें।
https के s की वजह से आपको सारी जानकारी सर्वर तक सुरक्षित पहुँचती है। ये जानकारी इन्क्रिप्ट होती इस s की वजह से। ये s एक ssl सर्टिफिकेट की वजह से आता है। अगर ये नहीं होगा तो हैकर वो जानकारी सर्वर तक पहुँचने से पहले ही बीच में देख सकता है। फिर उसको डेटाबेस को हैक करने के भी जरूरत नहीं होगी।
बस इस भ्रम में भी ना रहें की s है इसका मतलब वेबसाईट सुरक्षित है। इस s का केवल इतना ही मतलब है की आपने भरी हुई जानकारी सर्वर तक सुरक्षित पहुचेगी। पर अगर वो वेबसाईट एक हैकर ही चलाता होगा तो फिर वो सुरक्षित नहीं होगी।
वेबसाइट को जाँचे
फिलहाल कोनसी वेबसाईट खतरनाक है ये समझना काफी मुश्किल होता है। इसलिए आपको कुछ टूल्स की मदद लेनी पड़ेगी। इसके लिए इंटरनेट पर कई ऐसे टूल्स है जो बताते है की वेबसाईट सुरक्षित है या नहीं आप उनका इस्तेमाल कर सकते है। मैंने नीचे दो लिंक दी है आप उनका इस्तेमाल कर सकते है।
https://www.virustotal.com/gui/home/upload
एक्सटेन्शन
अगर आप पीसी या लैपटॉप का इस्तेमाल काफी ज्यादा करते है तो उनके ब्राउजर की अच्छी खासियत ये है की आप उनमें इक्स्टेन्शन का इस्तेमाल कर सकते है। जिनकी मदद से आप आपको ये पता चल जाएगा की वेबसाईट सुरक्षित है या नहीं। अगर ज्यादा इक्स्टेन्शन का इस्तेमाल करेंगे तो ब्राउजर स्लो भी हो सकता है।
विज्ञापन ब्लॉक करें
सारे के सारे विज्ञापन आपके लिए हानिकारक होते है ऐसा नहीं। पर कुछ विज्ञापन स्कैमर भी चलाते है जो हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकते है। इसके लिए आप ad blocker का इस्तेमाल कर सकते है।
पॉप अप्स
अगर किसी वेबसाईट पर कुछ ज्यादा ही पॉप अप्स या रहें है तो उस वेबसाईट फीर पर जाइए। क्योंकि वो वेबसाईट या तो हैक हुई है या फिर उन्हें खुद हैकर चला रहा है।
खास कर अगर उन पॉप अप्स में आपको बार बार मोबाईल या लैपटॉप में वायरस है ऐसा बताया जा रहा है या फिर आपको कोई वीपीएन डाउनलोड करने को बोल रहें जो की नकली कंपनी है तो उस वेबसाईट पर कभी मत जाना।
ऐसे apps तो बिल्कुल भी मत डाउनलोड मत करना। इससे आपका डिवाइस हैक हो सकता है। इन्हे scareware कहा जाता है।
वीपीएन
वीपीएन की मदद से आपको ट्रैक नहीं किया जा सकता। बस एक ही शर्त है की वीपीएन अच्छी कंपनी का होना चाहिए वरना वो दिक्कत कर सकता है।
DNS
ऊपर मैंने एक सेटिंग बताई है ब्राउजर के लिए वो कर लीजिए आप dns spoofing जैसे हमले से बैक सकेंगे।
पासवर्ड मॅनेजर
ब्राउज़र का पासवर्ड मैनेजर इस्तेमाल करना थोड़ा असुरक्षित होता है। क्योंकि उनकी decryption key को हैकर काफी आसानी से ढूंढ सकता है। इसलिए अगर ब्राउजर हैक हुआ तो आपके पासवर्ड भी हैकर के पास चले जाएंगे।
अॅंटीवायरस
लैपटॉप या फिर पीसी के ब्राउजर के लिए इक्स्टेन्शन तो है पर मोबाईल पर आपको सुरक्षित तरीके से इंटरनेट को इस्तेमाल करना है तो फिर एक अच्छा एंटिवाइरस तो इस्तेमाल करना है पड़ेगा। उनमें ब्राउजर protection की सुविधा मिलती है।
बस एक दिक्कत है वो एंटिवाइरस बस कुछ ब्राउजर को ही सुरक्षित रख सकते तो आपको उनके हिसाब से ही ब्राउजर को इस्तेमाल करना पड़ेगा। मतलब जैसे क्विक हील एंटिवाइरस बस क्रोम को सुरक्षित रख सकता है तो आप बस क्रोम को चलाएंगे तो सुरक्षित रहेंगे बाकी आपको मर्जी है।
फायरवॉल
ये आपके डिवाइस मे आने जाने वाले इंटरनेट ट्राफिक पर ध्यान देता है। इसलिए एक अच्छा एंटिवाइरस फायरवॉल देता है पर आपके पास नहीं है तो आप एक फ्री फायरवॉल का सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते है।
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