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सन १९७६ की बात है उस वक्त अमेरिका और सोविएत रशिया में शीतयुद्ध चल रहा था। एक दूसरे को हर क्षेत्र में कैसे पीछे छोड़ सकते है इसकी दौड़ वो दोनों कर रहे थे। मॉस्को के अमेरिका के कार्यालय में उनका अधिकारी रोज की तरह कार्यालय में आता है। और रिपोर्ट लिखने लगा। उस वक्त कंप्युटर उतने प्रचलित नहीं थे इसलिए उस कार्यालय में आईबीएम का एक टाइपराइटर था। उस दिन उसे कुछ शक हुआ। उसका हर एक लिखा शब्द रिकार्ड हो रहा था।
विषयसूची
उसका वो टाइपराइटर सोविएत रूस ने कीलॉगर की मदद से हैक किया था। ये दुनिया का पहला कीलॉगर था। ये बात समझने में अमेरिका को आठ साल लग गए।
कीलॉगर क्या है?
कीलॉगर एक सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर होता है जो आप कंप्युटर पर क्या टाइप कर रहे हो उसे रिकार्ड करता रहता है। सिर्फ कंप्युटर ही नहीं मोबाईल के लिए भी कीलॉगर आते है। इसलिए मोबाईल सुरक्षित होता है इस भ्रम ना रहें। मोबाईल का कीलॉगर आप क्या टाइप कर रहे हो, कहाँ टाइप कर रहे हो, हमारा मोबाईल पर स्वाइप करना इसे भी रेकॉर्ड करता है।
जानकारी चोरी करके क्या करता है?
इसका मुख्य काम हमारी जानकारी चोरी करना होता है। ये हमारे यूजरनेम, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर, हम क्या चैट कर रहे है ये सब चीजे कीलॉगर चुराते है। इसका इस्तेमाल वे फिर हमें फ़साने के लिए करते है। इसके अलावा ये यूजरनेम और पासवर्ड चुराके हमारे सोशल मीडिया अकाउंट भी हैक करते है। अगर टू स्टेप वेरीफिकेशन चालू है तो ही बच सकते है। या फिर हमारी चैटिंग के आधार पर हमें ब्लैकमैल भी कर सकते है।
कीलॉगर के प्रकार
सॉफ्टवेयर
इसके दो प्रकार है। पहला सॉफ्टवेयर। ये फिलहाल काफी ज्यादा पैमाने पर इस्तेमाल कीये जाते है। ये आपके ब्राऊजर में एक्सटेन्शन या cracked सॉफ्टवेयर के जरिए या सकते है। इसलिए कोई भी अनजान इक्स्टेन्शन या cracked सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल ना करें।
हार्डवेयर
दूसरे प्रकार में हार्डवेयर आते है। ये एक तरह के यूएसबी ही होते है। जो हमारे कीबोर्ड से जुड़े होते है। जो शायद आपको किसी कैफे में देखने को मिल सकते है। या फिर आप क्या टाइप कर रहे है ये देखने के लिए कैमरे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए किसी भी कैफे में आपने अकाउंट से कभी लॉगिन ना करें।
- फोन हैक होने पर ये चीजे करें
- फायरवॉल क्या है?
- वीपीएन क्या है और इसका उपयोग क्या है?
- फिशिंग क्या है?
- इंटरनेट सुरक्षा टिप्स हिन्दी
- बॉटनेट मैलवेयर क्या है?
क्या ये मैलवेयर है?
हा। ये एक मैलवेयर ही है। अगर आप किसी भी वेबसाईट से फाइल डाउनलोड करते है तो उसमें कीलॉगर हो सकता है। साथ ही में ये खुद का डूप्लकैट बना कर दूसरे कंप्युटर को भी संक्रमित कर सकता है।
हम तक कैसे पहुंचते है?
Malvertising
इसमे हैकर हैक हुई वेबसाईट पर उनके विज्ञापन चला देते है। इसमें अगर आपको बिना पता लगे कोई फाइल डाउनलोड करने मे सफल हो गए तो वो कीलॉगर या फिर मैलवेयर का हमला कर सकते है।
फिशिंग
अगर आप ईमेल का इस्तेमाल करते है तो फिर आपको टारगेट किया जा सकता है। इसमें कीलॉगर या दूसरे मैलवेयर आपके जरिए डाउनलोड कीये जा सकते है।
Zero Day Exploit
आपके सिस्टम के वल्नरबिलिटी का या किसी सॉफ्टवेयर के वल्नरबिलिटी का फायदा उठाकर इन्हे इंस्टॉल किया जा सकता है।
स्क्रीन स्क्रैपर
ये कीलॉगर तो हमारे स्क्रीन का हर समय स्क्रीनशॉट लेता रहता है। इसकी वजह से भी आपके चैट या पासवर्ड लीक हो सकते है।
कानूनी या गैर कानूनी ?
इसका कानूनी तौर पर इस्तेमाल भी किया जाता है। जैसे किसी बड़ी कंपनी में आप काम करते है तो उनके लैपटॉप या पीसी में इसका इस्तेमाल किया जाता होगा। वो कानूनी तौर पर बिलकुल सही है। इसीलिए आपको अपने कंपनी के लैपटॉप या पीसी पर कभी भी सोशल मीडिया अकाउंट से लॉगिन नहीं करना चाहिए और चैटिंग भी नहीं करनी चाहिए।
गैर कानूनी
इसमें अगर आपको बिना पता लगे आपके कंप्युटर में कोई इसे इंस्टॉल करता है तो फिर वो गैर कानूनी है। इसकी मदद से आपके अकाउंट हैक करना, नेटबँकिंग का पासवर्ड लीक होना जैसी चीजे हो सकती है।
कीलॉगर कैसे पहचाने?
पहले तो ये देखें की आपके लैपटॉप या मोबाईल में ऐसी कोई एप है जिसे आपने डाउनलोड नहीं किया। और हो तो उसे डिलीट कर दें।
अगर आपका लैपटॉप फ्रीज हो रहा है, क्रैश हो रहा या स्लो काम कर रहा है खास कर जब आप कीबोर्ड या माउस का इस्तेमाल कर रहे है।
कैफे में देखे की कहीं किसी कीबोर्ड को कोई यूएसबी जोड़ा है या नहीं, या फिर कहीं ऐसे जगह कैमरा तो नहीं जहां से आप क्या टाइप कर रहे है वो साफ साफ दिखाई दे।
टास्क मैनेजर का इस्तेमाल आप कर सकते है। अगर कोई अनजान प्रोसेस बैकग्राउंड में हो रही है तो उसे रोक दें।
कोई भी ब्राउजर इक्स्टेन्शन का इस्तेमाल ना करें। इस इक्स्टेन्शन से आपके ब्राउजर को खतरा हो सकता है।
हम कैसे सुरक्षित रह सकते है?
टू स्टेप वेरीफिकेशन
अपने हर सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेल पर टू स्टेप वेरीफिकेशन चालू कर दे। इससे भले ही आपका पासवर्ड लीक हो जाए पर अकाउंट हैक नहीं होगा।
एंटिवाइरस
यक अच्छा एंटिवाइरस का इस्तेमाल करें। माइक्रोसॉफ्ट मैलवेयर रिमूवल टूल या defendar के भरोसे मत रहें।
फाइल
कोई भी फाइल डाउनलोड करने से पहले १० बार सोचे, और फिर एक बार और सोचे। तभी फाइल डाउनलोड करें। अनजान ईमेल से आई कोई भी फाइल डाउनलोड ना करें।
पासवर्ड मैनेजर
किलोगर पर रामबाण उपाय एक है पासवर्ड मैनेजर का। क्योंकि ये औटोफिल जैसे फीचर के साथ आता। इसलिए पासवर्ड टाइप करने का संबंध ही नहीं आता। इससे पासवर्ड लीक भी नहीं होगा।
काढून टाका
अगर आपके डिवाइस में कीलॉगर है तो एंटिवाइरस की मदद से उसे निकाल दे। और इसके बाद भी आपको शक है की वो नहीं निकला तो फैक्ट्री रेसेट यही एक मात्र उपाय है।
विंडोज कीबोर्ड
एक वर्चुअल कीबोर्ड विंडोज़ में मिलता है। win+ctrl+o दबाके आप इसका इस्तेमाल कर सकते है। ये एनक्रीपटेड नहीं है है इसलिए ये सिर्फ हार्डवेयर कीलॉगर से बच सकता है।
वर्चुअल कीबोर्ड
एक और ब्रम्हास्त्र एनक्रीपटेड वर्चुअल कीबोर्ड का। खास बैंक के वेबसाईट पर आपको एनक्रीपटेड कीबोर्ड मिल जाता है। तो उसका इस्तेमाल जरूर करें। अगर आपके पास kaspersky एंटिवाइरस है तो उसमें आपको वर्चुअल कीबोर्ड मिल जाता है।
पासवर्ड
भले ही आप पासवर्ड मैनेजर का इस्तेमाल करते हो आपको समय समय पर पासवर्ड बदलते रहना चाहिए। इससे आपका अकाउंट हैक होने की संभावना काम हो जाती है। वैसे हर तीन महीने बाद पासवर्ड बदलने को कहा जाता है, पर अगर आप इंटरनेट का काफी ज्यादा इस्तेमाल करते है तो हा महीने पासवर्ड बदले।
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