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फायरवॉल हमारे रक्षक होते है। जिस प्रकार हमारे घर को दिवार होती है या फिर आपके सोसाइटी को कम्पाउन्ड होता है जिनका मुख्य काम हमे चोरों से बचाना होता है। यही काम हमारे लिए फायरवॉल करता है।
विषयसूची
फायरवॉल क्या है?
अगर आपका कंप्युटर २४ घंटे इंटरनेट से जुड़ा होता है तो वो हर समय किसी ना किसी सर्वर से जुड़ता रहता है। उनमें से कुछ सर्वर खतरनाक भी हो सकते है।
इसलिए ऐसे सर्वर से बचने के लिए फायरवॉल का इस्तेमाल किया जाता है। ये सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर इन दोनों रूप में आता है। इनका काम हमारे डिवाइस के ट्राफिक पर ध्यान रखने का होता है। हमारा डिवाइस किसी ना किसी सर्वर से कनेक्ट होता रहता है। उनपर वो कड़ी नजर रखता है। या फिर कोई हैकर हमारे डिवाइस से कनेक्ट कर उसपर कब्जा ना कर ले इसपर भी वो ध्यान देता है। और ऐसा कोई कर रहा है तो फिर उस कनेक्शन को तोड़ देता है।
इससे आपका लैपटॉप, कंप्युटर, या फिर और कोई डिवाइस सुरक्षित रहता है। इतना ही नहीं जिस वाईफाई नेटवर्क से आप कनेक्टेड है और उस वाईफाई से जो कनेक्टेड डिवाइस है उन्हें भी वो सुरक्षित रहता है। बस उस वाईफाई के लिए आप फायरवॉल इस्तेमाल कर रहे हो। कुछ मैलवेयर ऐसे भी होते है जो वाईफाई नेटवर्क के जरिए भी फ़ैलते है।
इतना ही नहीं तो आपको बिना पता लगे अगर कोई सॉफ्टवेयर या मैलवेयर जो हैकर के सर्वर से कनेक्ट कर रहा है तो उसे ये रोक देता है। ये कनेक्शन को रोक सकते पर ऐसे मैलवेयर को हटाने के लिए आपको एंटिवाइरस की जरूरत तो पड़ेगी ही।
फायरवॉल काम कैसे करता है?
ये हमारे द्वारपाल होते है अगर सोसाइटी के अनुसार बोलू तो ये हमारे सुरक्षा रक्षक है जो हमारी रक्षा करते है। जो सोसाइटी में आने जाने वाले पर नजर रखता है। उन्हीं को अंदर भेजता है जिन्हे या तो वो जनता है या हम जानते है। अगर किसी को नहीं जनता तो फिर हमारे कहने पर ही उसे अंदर भेजेगा।
इसी तरह हमारे लैपटॉप में कुछ पोर्ट्स होते है जिससे ट्राफिक आता जाता रहता है। जिसमें वो सिर्फ विश्वसनीय सोर्सेस, आईपी अड्रेस को ही इजाजत देता है। ये सब एक नियमों के तहत होता है। ये नियम आईपी अड्रेस, डोमेन नेम, पोर्ट्स, प्रोटोकॉल्स या फिर शब्दों के आधार पर होता है।
फायरवॉल के उपयोग
मैलवेयर सुरक्षा
ये कोई एंटीमैलवेयर टूल नहीं ही पर कुछ हमलों से तो बचा सकता है। बैकग्राउंड में बहुत ऐसे एप चालू होते है अगर वो आपके डिवाइस में कोई मैलवेयर डाउनलोड करने प्रयत्न करते है तो उन्हे ये रोक देता है।
Restrict Access
अगर हैकर आपके आईपी अड्रेस का इस्तेमाल कर आपके कंप्युटर पर कब्जा करने का प्रयास करेगा तो ये उसे रोक देगा। इसलिए इसे कभी भी बंद ना करें।
डेटा सुरक्षा
अगर आपका फायरवॉल बंद है और आप किसी खतरनाक नेटवर्क से कनेक्ट हो गए तो फिर आपकी निजी या महत्वपूर्ण जानकारी चोरी हो सकती है या फिर उसे आपके डिवाइस से डिलीट भी किया जा सकता है। या फिर उस जानकारी के आधार पर आपको ब्लैकमैल भी किया जा सकता है।
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फायरवॉल के प्रकार
हमारी जरूरत के अनुसार इसके तीन प्रकार है। सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और क्लाउड।
सॉफ्टवेयर
नाम से ही आपको पता चल रहा है की ये क्या है। इसे आप विंडोज़, अँड्रॉइड, आइओएस, लिनक्स और मैक ओएस पर इंस्टॉल कर सकते है। पर ये सॉफ्टवेयर सिर्फ एक डिवाइस को ही सुरक्षित रख सकते है। ये प्रकार किसी एक व्यक्ति के लिए अच्छा पर्याय है पर जिनका कोई कारोबार है, जिनके ऑफिस में सारे काम प्रमुख तौर पर कंप्युटर पर होते है उनके लिए ये उपयुक्त नहीं। हर कंप्युटर पर इसे इंस्टॉल करना और इसे संभालना मुमकिन नहीं। इसलिए सॉफ्टवेयर फायरवॉल एक व्यक्ति के लिए काफी उपयुक्त रहेगा।
हार्डवेयर
इसका इस्तेमाल पूरे वाईफाई नेटवर्क को इस्तेमाल करने के लिए किया जाता है। इसकी मदद से एक समय पर एक से ज्यादा डिवाइस पर ध्यान रखा जाता है। जिनका कारोबार है या जिनका मुख्य काम कंप्युटर पर काफी ज्यादा पैमाने पर होता है उनके लिए ये काफी फायदेमंद रहेगा। ये अलग से एक डिवाइस आने की वजह से कंप्युटर की ऊर्जा भी बचेगी। इसलिए के ज्यादा लोगों के लिए फायदेमंद रहेगा।
क्लाऊड फायरवॉल
ये क्लाउड सर्वर का इस्तेमाल करता है। इन्हे प्रॉक्सी फायरवॉल भी कहा जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है की ये इंसान की गलती से कभी बंद नहीं होगा। मतलब किसी की गलती की वजह से हार्डवेयर खराब हो सकता है, सॉफ्टवेयर खराब हो सकता है, या फिर गलती से कोई सेटिंग बदल सकती है। पर क्लाउड के विषय ये नहीं होगा। आपके ऑफिस में कुछ भी हो ये अपना काम करता रहेगा। इसलिए ऑफिस में हार्डवेयर फायरवॉल के जगह क्लाउड का इस्तेमाल करना काफी उचित होगा।
फायरवॉल vs व्हीपीएन
VS
सिर्फ फायरवॉल का इस्तेमाल करने से आप सुरक्षित नहीं होंगे। ये आपके ट्राफिक पर नजर रखते है, किसी गलत सर्वर से ये आपको कनेक्ट नहीं होने देगा। और वीपीएन आपकी जानकारी इन्क्रिप्ट करता है।
उदाहरण के तौर पर – जैसे आपके गेट पर बैठा सुरक्षा रक्षक इसे फायरवॉल माने तो वो आते जाते आपको देखता है, अगर आप साथ मे कोई गलत चीज लेकर आते है तो वो आपको रोकेगा। ये काम फायरवॉल करता है। पर अगर आपके सुरक्षा रक्षक के साथ उसके दोस्त या कोई अनजान व्यक्ति बैठे हही तो और आपको उन्हे बिना पता लगे जाना है तो आप या तो भेस बदल कर जा सकते है या फिर गाड़ी में छुप कर जा सकते है और गाड़ी का नंबर प्लेट ( आईपी अड्रेस ) बदल कर जाना ये भी पर्याय है। यही पर्याय वीपीएन का है। जो आपको किसी के भी नजर में नहीं आने देता, साथ में आपको जानकारी भी इन्क्रिप्ट करता है।
ज्यादा सुरक्षा के लिए दोनों का इस्तेमाल जरूर करें।
फायरवॉल सुरक्षा टिप्स
- आपके लैपटॉप या कंप्युटर का फायरवॉल हमेशा चालू रखें। चालू नहीं किया तो अभी चालू करें।
- फायरवॉल को हमेशा अपडेट रखें। अगर इसे टालते रहें तो काफी मुश्किल हो सकती है।
- सिर्फ फायरवॉल पर निर्भर ना रहें अधिक सुरक्षा के लिए वपन का भी इस्तेमाल जरूर करें।
- कभी कभी फायरवॉल ये निर्णय नहीं ले सकता की किस कनेक्शन को इजाजत देनी है और किसे नहीं ऐसे समय वो आपको पूछता है अगर आपको उस कनेक्शन पर भरोसा है तो तभी उसे इजाजत दे।
- जरी तुम्ही याचा वापर असाल तरी तुमच्या डिवाइस मध्ये एक अॅंटीवायरस सॉफ्टवेअर असलंच पाहिजे.
- भले ही आप इसका इस्तेमाल करते हो तब भी आपके डिवाइस में एक एंटिवाइरस होना चाहिए।
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