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जब तक फोन को एक इंसान का दिमाग इस्तेमाल करेगा तब तक फोन हैक होने संभावना काफी ज्यादा है। क्योंकि ऐसी काफी सारी चीजे है जो हमे फोन के बारे में नहीं पता होती। इसलिए फोन हैक होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। और अगर अँड्रॉइड का इस्तेमाल करते है तब तो कुछ ज्यादा ही खतरा है।
विषयसूची
ऐसा क्यों? अगर ये सवाल आपके दिमाग में आया है तो इसका उत्तर है इस्तेमाल करने वालों की संख्या। आइओएस से ज्यादा अँड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने वाले दुनिया भर में काफी ज्यादा लॉग है। इसलिए हैकर भी उन्ही को टारगेट करते है। आइओएस इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी फिलहाल बढ़ रही है। इसलिए आने वाले समय में इन्हे भी टारगेट किया जा सकता है।
- डार्क वेब क्या होता है?
- मैलवेयर क्या होता है?
- बॉटनेट मैलवेयर क्या है?
- इंटरनेट सुरक्षा टिप्स हिन्दी
- फिशिंग क्या है?
- वीपीएन क्या है और इसका उपयोग क्या है?
- फायरवॉल क्या है?
फोन हैक है या नहीं कैसे पता करें?
बैटरी
फोन की बैटरी कितनी देर तक चलती है ये हमे पता होता है। पर अगर आपने ज्यादा एप डाउनलोड नहीं कीये है और बैटरी काफी जल्दी या फिर पहले से ज्यादा जल्दी खत्म हो रही है तो फोन हैक होने की संभावना है। क्योंकि वायरस या मैलवेयर को आपके मोबाईल की जानकारी उसके मालिक के पास भेजनी होती है। इस वजह से आपकी बैटरी काफी जल्दी खत्म हो जाती है।
इंटरनेट
भले ही आपके पास अनलिमिटेड इंटरनेट या वाईफाई है तब भी आप दिन में कितना इंटरनेट इस्तेमाल करते है इसपर ध्यान जरूर दें। क्योंकि वायरस और मैलवेयर को आपकी जानकारी उसके मालिक के सर्वर तक भेजने के लिए इंटरनेट की जरूरत होगी। इस जानकारी में आपके विडिओ, फोटो आदि चीजें हो सकती है इसलिए इंटरनेट भारी मात्रा में इस्तेमाल हो सकता है।
अनचाही एप
अचानक आपको आपके स्क्रीन पर ऐसे एप दिख रहें है जिन्हे आपने इंस्टॉल नहीं किया तो उसे डिलीट कर दें। और सेटिंग में जा कर ये देखे की ऐसी कोई और भी एप है या नहीं जो आपने इंस्टॉल नहीं की।
स्लो फोन
मैलवेयर घुसा है मतलब वो आपका प्रोसेसर भी इस्तेमाल करेगा इससे आपका फोन काफी स्लो हो जाता है। अगर ये बदलाव आपके फोन में दिखाता है तो ये दुष्कर्म वायरस या मैलवेयर का ही है।
विज्ञापन
अगर आपको आपके फोन पहले से कुछ ज्यादा ही विज्ञापन दिख रहे है तो आपके फोन मे एडवेयर हो सकता है। पर रेडमी के फोन में पहचान आना मुश्किल है क्योंकि ये फोन खुद से काफी सारे विज्ञापन दिखाता है।
Mod Apk
अगर आप कुछ चीजें मुफ़्त में मिल रहीं है इसलिए mod apk का इस्तेमाल करते है तो उसमें वायरस होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। क्योंकि कंपनी आपसे पैसे ले रही है तो उसे कहीं ना कही पैसे देने होते है। और ये खर्चा काफी बड़ा होता है और ये चीज अगर कोई मुफ़्त में दे रहा है तो उसे भी कुछ ना कुछ खर्चा तो जरूर आता होगा। वो अंबानी की तरह दिलदार तो नहीं होगा। वो शायद आपकी जानकारी चुरा सकता है।
कुछ भी नहीं
अगर आपके फोन इनमें से कोई भी लक्षण नहीं दिख रहा है और अगर आप mod apk, pirated सॉफ्टवेयर या फिर किसी भी वेबसाईट से फाइल डाउनलोड करते है तो उससे फोन हैक होने संभावना भी बढ़ जाती है। और कुछ मैलवेयर एंटिवाइरस के चपेट में भी नहीं आते। फिर हमें तो क्या ही पता चलेगा।
एप क्रैश
अगर आपके फोन में रॅम भी ज्यादा है और प्रोसेसर भी अच्छा है और फोन पुराना भी नहीं तब भी अगर एप क्रैश हो रही है तो ये वायरस की वजह से हो सकता है।
वेबसाइट
फोन हैक होने पर आपको वेबसाईट भी अलग हो सकती है। क्योंकि हैकर वेबसाईट कॉपी करके उनके वेबसाईट पर आपको रेडीरेक्ट कर देते है। डिजाइन बिलकुल सेम होने की वजह से हम पहचान नहीं पाएंगे।
एसएमएस
अचानक अगर आपके फोन पर एसएमएस या फोन आने बंद हो गए है तो ये खतरनाक हो सकता है। क्योंकि फिर आपके बैंक के otp भी किसी और के पास चले गए होंगे। आपका खाता खाली हो जाएगा और आपको पता भी नहीं चलेगा।
दूसरों को एसएमएस
अगर आपको एसएमएस नहीं या रहे पर दूसरों को आपके नंबर से एसएमएस जा रहे जो आपने नहीं भेज वो भी खतरनाक हो सकता है।
सेटिंग्स एप
अगर आपके मोबाईल की सेटिंग एप खुल नहीं रहीं या फिर हर बार क्रैश हो रही है तो फिर १०० प्रतिशत आपका मोबाईल हैक हुआ है। क्योंकि ऐसे भी मैलवेयर है जो सेटिंग एप खोलने नहीं देते।
फोन हैक होने पर क्या करें?
अगर आपका फोन हैक नहीं हुआ तो हैक होने इंतजार भी ना करें। इससे पहले की फोन हैक हो जाए नीचे दी गई चीजे जरूर करें।
किसी अछे प्रसिद्ध कंपनी का एंटिवाइरस इंस्टॉल करें। और अगर खरीद लिया है तो काफी अच्छी बात है। और खरीद नहीं है तो कम से कम मुफ़्त वाला ही इंस्टॉल करें।
जब भी आपको ये संदेह हो की फोन हैक हुआ तो इंटरनेट बंद करके पूरा मोबाईल एंटिवाइरस से स्कैन कर लें। अगर एंटिवाइरस इंस्टॉल नहीं किया तो कर लें।
जब कभी आपका मोबाईल या सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो जाए तो सबसे पहेल दूसरों को जरूर बताए और उस मोबाईल से या सोशल मीडिया अकाउंट से आए मेसेज पर ध्यान ना दे ये भी बताए।
एंटिवाइरस की मदद से मैलवेयर निकालने के बाद सारे ऑनलाइन अकाउंट के पासवर्ड बदल ले। और जहा हो सके multi फैक्टर ऑथेन्टकैशन चालू कर दें। और आसान पासवर्ड बिलकुल इस्तेमाल ना करें। इसके लिए हो सके तो पासवर्ड मैनेजर का इस्तेमाल जरूर करें।
अगर कुछ भी करने के बाद वायरस नहीं जा रहा तो बस एक उपाय बचता है फोन को फैक्ट्री रेसेट करना। इस रेसेट में फोटो, कान्टैक्ट, विडिओ का बैकअप जरूर लें। और बैकअप की आदत डाल लें।
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