पेगासस स्पाइवेयर क्या है? | Pegasus Spyware Information in Hindi

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pegasus spyware पेगासस स्पाइवेयर

स्पाइवेयर क्या होता है?

स्पायवेअर असा मॅलवेअर आहे जो आपल्या नकळत आपल्या मोबाईलमध्ये किंवा कॉम्प्युटर मध्ये स्थानापन्न होतो. याचं काम म्हणजे आपल्यावर लक्ष ठेवणं आहे. तो आपली बरीच खाजगी माहिती पण गोळा करत असतो. आणि इतर बरेच काम करत असतो.

स्पाइवेयर ऐसा मैलवेयर होता है जो आपको बिन पता लगे आपके मोबाईल या कंप्युटर में घुस जाता है। इसका काम आप पर नजर रखना होता है। ये आपकी काफी सारी निजी जानकारी हासिल करता है और भी कई सारे काम कर सकता है।

पेगासस स्पाइवेयर

इस पेगासस स्पाइवेयरने २०२१ जे गर्मियों में शोहरत हासिल करना शुरू किया। शुरू में कुछ देशों के प्रमुख अधिकारियों के फोन में पाया गया था। पर इसकी शुरुवात गुन्हेगारों पर नजर रखने के लिए हुई थी।

NSO ग्रुप क्या है?

NSO ये एक इस्रायल की कंपनी ह। इसकी स्थापना २०१० में हुई थी। वैसे तो ये ग्रुप बताता है की ये सिर्फ अधिकृत सरकारी संस्थाओं से संपर्क करते है। और उनके इस तकनिकी का इस्तेमाल वो दहशतवाद और गुन्हेगारों को रोकने के लिए ही करते है।

फिलहाल इस ग्रुप पर दो केस चल रहे है, वो भी अमेरिका में। इसमें पहला केस व्हाट्सएप ने किया है। इसमें उन्होंने ऐसा दावा किया है NSO ग्रुप ने व्हाट्सएप के कॉलिंग फीचर की वल्नरबिलिटी का नाजायज फायदा उठाया है। इसका इस्तेमाल करके वो लोगों के फोन में स्पाइवेयर को इंजेक्ट करते है, ऐसा उनका कहना है।

इसका शिकार लगभग १४०० लोग हो चुके है। जिसमें १०० तो समजसुधारक, पत्रकार और सरकार जिनसे धोका है ऐसे लोग है। NSO ग्रुप ने कहा है की उन्होंने किसी को स्पाइवेयर से इंजेक्ट नहीं किया है पर उन्होंने ये भी माना नहीं की उन्होंने व्हाट्सएप में कोई वल्नरबिलिटी को ढूंढा है।

दूसरा केस एप्पल कंपनीने किया है। उन्होंने नवंबर २०२१ में पेगासस स्पाइवेयर की वजह से इसे दर्ज किया है।

ही इस्रायली कंपनी एखाद्यावर पळत ठेवण्यासाठी तंत्रज्ञान बनवण्यात तरबेज आहे. ज्यात तुम्ही पेगासस हे नाव तर ऐकलंच असेल. याने खूप धुमाकूळ घातला होता. याचा वापर अनेक देशांच्या सरकारांनी पण केला आहे. ज्यात भारताचं पण नाव आलं आहे. यामध्ये विरोधी पक्षांनी भाजप वर निशाण साधला होता. पण भाजपने हे आरोप फेटाळले होते.

ये इस्रायल की कंपनी किसी पर भी नजर रखने के लिए टेक्नॉलजी बनाने में माहिर है। जिसमें पेगासस ये नाम आपने तो सुना ही होगा। इसने काफी हल्ला मचाया था। इसका इस्तेमाल कई देशों की सरकार ने भी किया था। जिसमें भारत का नहीं नाम आया था। इसमें विरोधकों ने भाजप पर निशाना लगाया था।

पेगासस स्पाइवेयर क्या है?

NSO ग्रुप द्वारा निर्मित ये सबसे प्रसिद्ध स्पाइवेयर है। इसका इस्तेमाल किसी की निजी जानकारी जमा करना है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है की ये कब मोबाईल में घुस जाता है इसके बारें में पता भी नहीं चलता।

इसे चालू करने के लिए आपको किसी भी फाइल पर क्लिक करने के जरूरत नहीं। इसलिए इसे जीरो क्लिक एक्स्प्लॉइट भी कहा जाता है। शुरुवात में तो ये खास कर आईफोन के लिए ही बनाया गया था। जिसमें सामने वाले व्यक्ति को सिर्फ एक आइ मेसेज खोलना होता है बाकी कार्यक्रम ये स्पाइवेयर ही कर देता है।

जिस क्षण ये पेगासस मोबाईल में प्रवेश कर लेता है उसी समय ये काम में लग जाता है। ये हमारे ईमेल, एसएमएस, काफी आसानी से रेकॉर्ड कर सकता है, कॉल भी रेकॉर्ड कर सकता है, पासवर्ड को भी रेकॉर्ड कर सकता है। साथ भी आप किन जगह पर गए है इसे भी रेकॉर्ड करता है।

इसके बारें में पहली बार २०१६ में पता लगा था। उस समय एक मानव अधिकार कार्यकर्ता के आईफोन में ये इंस्टॉल होने में असफल हुआ था और उस कार्यकर्ता को इसके बारें मे पता लगा और ऐसे ही ये स्पाइवेयर सारी दुनिया के सामने आया था।

इस स्पाइवेयर को बनाने में कंपनी ने काफी समय और दिमाग खर्च किया है। इसलिए इसकी कीमत भी काफी ज्यादा है। इसलिए आम इंटरनेट यूजर पर इसका इस्तेमाल करना बेवकूफी ही होगी। इसका इस्तेमाल कोई देश किसी पर नजर रखने के लिए कर सकते है। इसलिए इसका हमला आप होगा ऐसा नहीं, इस समय तो।

ये काम कैसे करता है?

शुरुवात में तो ये सिर्फ आईफोन के लिए ही बनाया गया था। शुरुवात में इसे किसी के आईफोन में इसन्ताल करने के तरीके थे। एक तो वो सफारी ब्राउजर की वल्नरबिलिटी का फायदा उठाते थे और दूसरे में वो आइओएस के kernel मतलब उसके जड़ की कमजोरी को निशाना बनाते थे।

किसी डिवाइस में पेगासस स्पाइवेयर को इंस्टॉल करने के लिए वो फिशिंग का इस्तेमाल करते थे। इसमें वो सामने वाले व्यक्ती को एसएमएस, ईमेल या ट्विटर जैसे मेसेजिंग प्लेटफॉर्म से लिंक भेजते थे जिस पर क्लिक करते ही सफ़री ब्राउजर की वल्नरबिलिटी के का इस्तेमाल करते थे और यूजर को कुछ भी पता ना लगे ये स्पाइवेयर फोन इंस्टॉल हो जाता था। और आइफोन को भी इसके बारें मे पता नहीं लगता तो वो भी कोई अलर्ट नहीं देता था।

फिर इंस्टॉल होने के बद्द वो आइओएस के kernel की वल्नरबिलिटी का इस्तेमाल कर मोबाईल में इंस्टॉल्ड व्हाट्सएप, टेलीग्राम, आइमेसेज, ईमेल और ऐसे ही और भी एप पर कब्जा कर लेता था। पेगासस स्पाइवेयर सिर्फ एप ही नहीं वो कैलंडर, जीपीएस लोकैशन, किस किस को कॉल किया है इनको भी रेकॉर्ड करता है। फोन कॉल रेकॉर्ड करना, एसएमएस पढ़ना और कैमरा एवं माइक्रफोन चालू करके रेकॉर्ड करना ये सब चीजे करता था। बाद में ये सारी चीजे सर्वर को भेजता था।

अभी ये पेगासस स्पाइवेयर और भी ज्यादा प्रगत हो चुका है। अब ये आइफोन के साथ एंड्रॉयड फोन को भी हैक कर सकता है। जिसमें सामने वाले को किसी भी लिंक पर क्लिक करना नहीं पड़ेगा। ये प्रगत स्पाइवेयर काफी महंगा भी है। चिरकुट हैकर इसे खरीद नहीं पाएगा पर इसके नाम से आपको फ़साने की कोशिश जरूर कर सकता है।

पेगासस स्पाइवेयर कैसे पहचाने?

पहली बात अगर आप मेरी तरह एक सामान्य इंसान है तो आप कोई भी पेगासस का इस्तेमाल करके पैसे जाया नहीं करेगा। क्योंकि ये काफी महंगा स्पाइवेयर है। और ऊपर जैसे बताया है मैंने आम हैकर इसे खरीद नहीं सकता। पर इसके नाम से फसा कर पैसे कमाने का धंदा तो कर ही सकता है।

NSO ग्रुप ने इस स्पाइवेयर पर काफी ज्यादा मेहनत की है। इसे कोई एंटिवाइरस भी डिटेक्ट नहीं कर सकता है। और इसमें खुद को मिटाने का भी फीचर है इसलिए इसका सैम्पल भी कोई हासिल करने का प्रयास करेगा तो ये स्पाइवेयर खुद मिटा देता है।

अगर आपको देखना है की आपके फोन में ये स्पाइवेयर है या नहीं तो आप mobile verification tool का इस्तेमाल कर सकते है। इस टूल की निर्मिती Amnesty International Security Lab ने किया है। फिलहाल यही एक टूल है जो पेगासस स्पाइवेयर को पहचान सकता है। पर इसे इस्तेमाल करने के लिए आपको कंप्युटर और python की जानकारी होनी चाहिए। और मैक या लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम होना चाहिए। इसलिए हर कोई इसे इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।

आपके फोन में भी पेगासस स्पाइवेयर है क्या?

वैसे तो बताया है की पेगासस का आप पर इस्तेमाल करना किसी को परवड़ेगा ही नहीं। इसका उस हैकर को फायदा ही नहीं होगा। पर दूसरे स्पाइवेयर वो आपके फोन मे घुसा सकता है। आपके मोबाईल में CoolWebSearch, Phonespy या फिर finfisher जैसे स्पाइवेयर तो इंस्टॉल करवाए जा सकते है। इनका इस्तेमाल तो हैकर कर ही सकता है। आपके मोबाईल स्पाइवेयर है या नहीं ये आप नीचे दिए गए मुद्दों के आधार पर जांच कर सकते है।

स्लो मोबाईल – अगर आपका मोबाईल काफी ज्यादा स्लो काम कर रहा है। क्योंकि स्पाइवेयर हमारे मोबाईल के प्रोसेसर और बैटरी का भी इस्तेमाल करते है। पर अगर मोबाईल काफी पुराना है तो वो स्लो तो काम करेगा ही।

एसएमएस और ईमेल – फिलहाल ईमेल और एसएमएस की मदद से लिंक मिल रहे है तो सावधान रहें। उस पर क्लिक करने से डिवाइस में स्पाइवेयर घुस सकता है।

एप- एक बार मोबाईल में आपने कोनसे एप डाउनलोड कीये है वो देखे। अगर कोई ऐसी एप है जो आपने कभी डाउनलोड की ही नहीं तो उसे डिलीट करें। कुछ स्पाइवेयर आपका ब्राउजर हाइजैक करके आप ऑनलाइन क्या कर रहे है इसपर ध्यान रखते है।

इंटरनेट का इस्तेमाल- अगर आपका मोबाईल इंटरनेट का कुछ ज्यादा ही इस्तेमाल कर रहा है किसी बैकग्राउंड प्रोसेस में तो वो स्पाइवेयर हो सकता है। ये आपकी जो भी जानकारी चुराता है उसे सर्वर तक भेजने के लिए आपके इंटरनेट का इस्तेमाल करता है। इसलिए अगर अपलोड के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है तो ये कारनामा स्पाइवेयर का हो सकता है। ये डाटा काफी बड़ा हो सकता है क्योंकि इसमें आपके फोटो, विडिओ और औडियो रिकॉर्डिंग का भी समावेश हो सकते है।

इससे बचे कैसे?

किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें खास कर अगर वो लिंक किसी अनजान व्यक्ति ने भेजी हो।

मोबाईल या कंप्युटर के लिए एंटिवाइरस का इस्तेमाल जरूर करें। इसकी मदद से कई सारे हमले रोके जा सकते है।

ब्राउजर का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें। मोबाईल और कंप्युटर के सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेटेड रखें।

पेगासस स्पाइवेयर की कीमत कितनी है?

इसके एक लाइसेन्स की कीमत ५ करोड़ से भी ज्यादा है।

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