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वीपीएन क्या है?
वीपीएन का फूल फॉर्म वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क ऐसा है। इसकी मदद से आप अपना आईपी अड्रेस छिपा सकते है और दूसरे देश की वेबसाईट और दूसरी जानकारी भी देख सकते है। इससे किसी को भी पता नहीं चलेगा की आप कौन है और क्या कर रहे है बस शर्त एक ही है की वीपीएन अच्छा होना चाहिए।
विषयसूची
नेटवर्क सुरक्षा
अगर आप बिना वीपीएन के इंटरनेट का इस्तेमाल करते है बिना कुछ सोचे और बिना सोचे किसी भी वेबसाईट और लिंक पर क्लिक करते है तो आपका मोबाईल बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। आपका मोबाईल या डिवाइस आपकी जानकारी हैकर के लिए खुली कर रहा है।
कुछ वेबसाईट आपको ट्रैक करती रहती है। जिससे वो आपको विज्ञापन दिखा सके। कुछ तो अपनी हद पार कर देते है। वो आपके पासवर्ड, यूजरनेम और भी कई सारी जानकारी चुराते रहते है।
आईपी अड्रेस बदलना
वीपीएन की मदद से आप अपना आईपी अड्रेस बदल सकते है। इससे वेबसाईट, आपका वाईफाई, आपको इंटरनेट देने वाली कंपनी को आप ऑनलाइन क्या कर रहे है इसके बारे मे कुछ भी पता नहीं चलेगा। साथ हैकर को भी कुछ पता नहीं चलेगा। उन्हें भी आपके बारें में कुछ पता नहीं चलेगा। उन्हे बस आपके वीपीएन सर्वर का डाटा दिखेगा। वीपीएन हमारी जानकारी जैसे नाम, पता, पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड नंबर जैसी जानकारी को इन्क्रिप्ट करता है जिससे ये जानकारी हैकर और दूसरों को नहीं दिखती।
डेटा थ्रॉटलिंग
कुछ इंटरनेट सर्विस प्रोवायडर (ISP) जैसे वाईफाई वाले या फिर आपकी सिम की कंपनी ये हमारे इंटरनेट पर कुछ लिमीट लगाती है। जैसे आपको हर दिन १.५ जीबी इंटरनेट मिलता है जिसमे कंपनी की पॉलिसी में आप १ जीबी इंटरनेट का इस्तेमाल विडिओ देखने के लिए कर सकते है तो वो १ जीबी खतम होने के बाद कंपनी आपका इंटरनेट स्पीड स्लो कर देती है। पर बाकी बचा ५०० mb आप दूसरे काम में अच्छे से इस्तेमाल कर सकेंगे।
इससे बचाने के लिए आप वीपीएन का इस्तेमाल कर सकते है। ऐसा करने से कंपनी को कुछ भी समझ नहीं आएगा की अप क्या कर रहे है। फिर १ जीबी डाटा खतम होने के बाद भी आप विडिओ देखने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते है। कंपनी कुछ भी समझ ना आने के कारण वो आपका इंटरनेट स्लो नहीं करेंगे।
बॅंडविड्थ थ्रॉटलिंग
इसमें थोड़ासा फरक है। जैसे अगर आप ऑनलाइन गेम खेल रहे है। जिसमे आपको हाईस्पीड इंटरनेट की जरूरत होती है और उसी वक्त उसी नेटवर्क पर और भी लोग गेम खेल रहें है जिससे कंपनी के सर्वर पर ज्यादा लोड पड़ रहा है तो कंपनी कुछ लोगों का इंटरनेट स्लो कर देती है। अगर आप कभी लॉकडाउन के समय पबजी खेलते थे आपको याद होगा की गेम लॅग करता होगा कई बार पर आपके दोस्त का गेम सही से चलता होगा तो आप बॅंडविड्थ थ्रॉटलिंग के शिकार हुए थे।
ऐसे समय में आप वीपीएन का इस्तेमाल कर सकते है। इससे कंपनी को कुछ भी समझ में नहीं आएगा। और आप बिना किसी रुकावट के इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगे।
ब्लॉक्ड कंटेंट एक्सेस
कई देश कुछ वेबसाईट पर बैन लगाते है, ऐसे समय में अगर आपको उस देश में रहकर सिम कार्ड के इंटरनेट से वो वेबसाईट का इस्तेमाल करना है तो वो संभव नहीं, इसके लिए आपको वीपीएन का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जैसे आपने पबजी के बैन के बाद वीपीएन की मदद से इसका इस्तेमाल जरूर किया होगा या फिर netflix पर कुछ ऐसी फिल्में है जिन्हें आप भारत में नहीं देख सकते तो इसका इस्तेमाल कर आप वो फिल्में देख सकते है।
ट्रॅकिंग से सुरक्षा
आप जिस कंपनी का इंटरनेट इस्तेमाल करते है वो देख सकते है की आप इंटरनेट पर क्या करते है। उतना ज्यादा नहीं बस आपने किस वेबसाईट को विज़िट किया बस यही देखा सकते है। और इसका इस्तेमाल वो आपको विज्ञापन दिखाने के लिए भी कर सकते है। इससे बचने के लिए आप वीपीएन का इस्तेमाल कर सकते है।
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DDoS हमले से सुरक्षा
कोई हैकर आपको एक सर्विस इस्तेमाल करने से रोक सकता है। उसे अगर आपका आईपी अड्रेस मिल जाता है तो वो ये कर सकता है। जैसे अगर आप ऑनलाइन गेमिंग करते है तो उस समय ddos हमले की वजह से आप गेम नहीं खेल पाएंगे। पर वीपीएन की मदद से आपको सर्वर का आईपी अड्रेस मिल जाता है। इससे सारा लोड सर्वर पर आ जाता है। और आप बिना किसी मुश्किल के गेम खेल सकते है।
पब्लिक वायफाय से सुरक्षा
जैसे ही आप किसी पब्लिक वाईफाई से कनेक्ट करते है उस समय आपके मोबाईल की सारी जानकारी एक हैकर देख सकता है। आपके फोटोज, फेसबूक, इंस्टाग्राम के मेसेज भी वो देख सकता है। ऐसे समय एक अच्छा वीपीएन जो आपकी जानकारी इन्क्रिप्ट करता है वही आपको बचा सकता है। फिर हैकर कुछ भी नहीं देख पाएगा।
पैसे बचाओ
कूकीज ये शब्द तो आपने कई बार सुना ही होगा। इसकी मदद से आपको ट्रैक किया जाता है।
इसकी मदद से कुछ कंपनिया जैसे हवाई जहाज के टिकट बुक करने वाली कंपनी देखती है की बार बार उनके वेबसाईट पर आकर किसी फ्लाइट की कीमत देख रखे है तो उसकी कीमत शायद आपको हर बार थोड़ी बढ़ीं हुई दिख सकती है। ऐसे समय में आप अपने ब्राउजर की हिस्ट्री, कूकीज क्लीअर करके वीपीएन से कनेक्ट करने के बाद फिर कीमत देखिए आपको फरक देखने को मिल सकता है।
नुकसान
एंक्रिप्शन पद्धत
अगर आप कोई भी मुफ़्त का या फिर कुछ ज्यादा ही सस्ता वीपीएन इस्तेमाल कर रहे है तो उसमें कुछ ना कुछ कमी जरूर हो सकती है। उसमें से एक एन्क्रिप्शन हो सकता है जिससे के अभाव के कारण हैकर आपकी सारी जानकारी देख सकता है।
सर्व्हर इनफ्रास्ट्रक्चर
कंपनी के पास ज्यादा सर्वर होने चाहिए। स्ट्रॉंग एन्क्रिप्शन, कस्टमर सर्विस, नो लॉग्स पॉलिसी, किस देश के कानून के अंतर्गत कंपनी काम करती है ये चीजे जरूरी है। जैसे अगर किसी अमेरिका में वो कंपनी है तो उससे सरकार कभी भी किसी की जानकारी मांग सकती है और उन्हें वो देनी पड़ेगी।
स्लो स्पीड
इसमें हमारी जानकारी इन्क्रिप्ट होती है जिसमें थोड़ा समय लग सकता है। परिणाम स्वरूप इंटरनेट की स्पीड स्लो हो सकती है। या फिर अगर कभी सर्वर पर ज्यादा लोड हो तो उस समय स्पीड स्लो हो सकती है।
ब्लॉकर
कुछ सॉफ्टवेयर होते है जो वीपीएन का इस्तेमाल करते समय वेबसाईट या एप का इस्तेमाल करने से रोकते है।
कायदा
कुछ देशों में इसके इस्तेमाल पर बंदी होती है। जैसे चीन में इसका इस्तेमाल करने पर सक्त पाबंदी है। पर भारत में इसपर कोई भी बंदी नहीं है।
ड्रॉप्ड कनेक्शन
कभी कभी कनेक्शन अचानक से टूट जाता है इसका कारण आपका वाईफाई या सिम हो सकता है। फिर ऐसे समय आपकी सारी जानकारी असुरक्षित हो सकती है। इसके लिए वीपीएन में कील स्विच का फीचर हो सकता है।
मुफ़्त
अगर आप वीपीएन का इस्तेमाल करते है उसी के एप में विज्ञापन दिख रहे है वो भी आपकी सर्च हिस्ट्री के अनुसार तो वो वीपीएन इस्तेमाल करने का कुछ भी इस्तेमाल नहीं होगा। वीपीएन चुनते समय वो कंपनी नो लॉग्स पॉलिसी का इस्तेमाल करती है या नहीं ये जरूर देखें।
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